मंगल

-श्री मंगल ध्यानम् – “प्रतप्त गांगेयनिभमं ग्रहेशं सिहासनस्थं कमलासिहस्तम् । सुरासुरैः पजितपादयुग्मं भौमं दयालु हृदये स्मरामि ॥ -मंगल गायत्री- “ॐ अंगारकाय विद्महे शक्ति हस्ताय धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात् ।” –मंगल उपासना मन्त्र- “ॐ हुं श्रीं मंगलाय नमः” -मंगल मन्त्र – इस मन्त्र का २८ हजार जप करने पर मंगल का अनिष्ट प्रभाव दूर होता है […]

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bhairvi

भैरवी

भगवती भैरवी दश महाविद्याओं में सर्वाधिक प्रबल विद्या हैं। इनकी साधना द्वारा साधक समाज में सम्मानित स्थान तथा समान अधिकार प्राप्त करता है। ये भी भगवती आद्याकाली का ही स्वरूप हैं। ये शत्रुओं का दलन करने वाली त्रिजगत् तारिणी तथा षट्कर्मों में उपास्या हैं। भगवती को ‘त्रिपुर भैरवी‘ भी कहा जाता है। ये कालरात्रि सिद्ध […]

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Bhuvneshwari

भुवनेश्वरी

भगवती भुवनेश्वरी शिव के समस्त लीला-विलास की सहचरी और निखिल प्रपंचों की आदिकारण, सबकी शक्ति व सभी का नाना प्रकार से पोषण करने वाली हैं। इनका स्वरूप सौम्य और अंगकांति अरुण है। भक्तों को अभ्य एवं समस्त सिद्धियां प्रदान करना देवी का स्वाभाविक गुण है। माता भुवनेश्वरी को ‘ललिता‘ भी कहते हैं। इसलिए ललिता शब्द […]

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baglamukhi

बगलामुखी

दस महाविद्याओं में सबसे अधिक प्रसिद्ध, प्रचलित, प्रभावी साधना बगलामुखी देवी की ही मानी जाती है। एकवक्त्र महारुद्र की शक्ति बगलामुखी देवी है। इस देवी शक्ति की आराधना करने वाला मनुष्य अपने शत्रु को मनमाना कष्ट पहुंचा सकता है और अपने ऊपर आए कष्टों का निवारण भी कर सकता है। यौं तो बगलामुखी देवी की […]

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budh graha

बुध

बुध ध्यानम्- “सोमात्मजं हंसगत द्विबाहु शंखेन्दुरूप ह्या सिपाशहस्त्रम् दयानिधि भूषणभूषितांगं बुधं स्मरे मानक-पंकजेहम् ॥ -बुध गायत्री- “ॐ त्रैलोक्य मोहनाय विद्महे स्मरजनकाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् ॥” -बुध उपासना मन्त्र- “ॐ ऐं स्त्रीं श्रीं बुधाय नमः” -बुध मन्त्र- – इस मन्त्र को ६८ हजार जप करने पर बुध देव का अनिष्ट दूर होता है । “ॐ […]

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tara ma

तारा

दश महाविद्याओं में महाशक्तिशाली देवी तारा अक्षोभ्य पुरुष और उसकी महाशक्ति है। मुख्यतया रात्रि बारह बजे से लेकर सूर्योदय तक के समय में मां महाकाली की सत्ता रहती है। इसके पश्चात् महाविद्या तारा का साम्राज्य स्थित रहता है। जब तक अन्नाहुति होती रहती है तारा शान्त रहती है। अन्नादि के अभाव में वही शक्ति उग्रतारा […]

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