काली सिद्धि

महाकाली परात्पर नाम से प्रसिद्ध विश्वातीत महाकाल की शक्ति का नाम है। शक्ति सर्वथा शक्तिमान से भिन्न नहीं है। एक ऐसा समय भी था, जब कुछ भी नहीं था, केवल अंधकार मात्र था। वस्तुतः वह अप्रज्ञात तत्व ही महाकाल है। आगम शास्त्रों में महाकाली को प्रथमा, आद्या आदि नामों से सम्बोधित किया गया है। सृष्टि […]

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सूर्य

-श्री सूर्य ध्यानम् “प्रत्यक्ष देवं विशदं सहस्रमरीचिभिः शोभित भूमिदेशम् । सप्ताश्वगं सस्प्रजहस्तमाघं देव भजेऽहं निहिरं हृदब्जे ।” -सूर्य गायत्री- “ॐ आदित्याय विद्महे, मार्तंण्डाय धीमहि  तन्नः सूर्यः प्रचोदयात्” -सूर्य उपासना मन्त्र- “ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः” -सूर्य मन्त्र- इस मन्त्र का २४ हजार जप करने पर सूर्य का अनिष्ट दूर होकर वे प्रसन्न होते हैं और […]

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षोडशी

तंत्र में जिन्हें त्रिपुरसुंदरी भी कहा गया है, वह देवी षोडशी दश महाविद्याओं में तीसरी महाविद्या हैं। इनकी कांति प्रातःकालीन उदय होते सूर्य के समान है। प्रातः काल सूर्य उदय हुआ कि उसमें पारमेष्ठय, सोम यानी चन्द्रमा की आहुति हो गई। रुद्र शान्त होकर शिव हो गए। इसी शिव भाव से पूर्ण सूर्य से विश्व […]

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shukra

शुक्र

शुक्र ध्यानम्- संतप्तकांचननिधं द्विभुजं दयालु पीताम्बरं धृतसरोरुहद्वंद्व शूलम् ।  क्रौंचासनं चासुरसेव्यपाद शुक्र स्मरे त्रिनयन हृदयाम्बुर्ब्रहम् || शुक्र उपासना मन्त्र- “ॐ ह्रीं श्रीं शक्राय नमः” -शुक्र मन्त्र – (१) – इस मंत्र का आठ हजार जप करके दूध से हवन करने पर धातु विकार का रोग जाता रहता है । – शुक्र “ॐ वस्त्रं मे देहि […]

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shani

शनि

शनि ध्यानम्- नीलाजनाभं मिहिरेष्टपुत्रं ग्रहेश्वरं पाशभुजंगपाणिन् । सुरासुराणां भयदं द्विवाहु स्मरे शनि मानसपंत्रजेहन।। शनि उपासना मंत्र- “ॐ ऐं ह्रीं श्रीं शनैश्चराय नमः ।” शनि मन्त्र इस मन्त्र का ७६ हजार जप करने से शनिग्रह से शांति मिलती है । “ॐ ह्रीं श्रीं ग्रहचक्रवर्तिने शनैश्चराय क्लीं ऐं सः स्वाहा ।” […]

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राहु

राहु ध्यानम्- शीतांशुमित्रान्त कमीड्यरूपं घोरं च वैडूर्यनिभं द्विबाहुं । त्रैलोक्यरक्षापरमिष्टदम् तं राहुग्रहेन्द्र हृदये भजेहम् ॥ -राहु उपासना मन्त्र- ॐ ऐं ह्रीं राहवे नमः -राहु मन्त्र- “ॐ क्रीं क्रीं हुं हुं टं टंकधारिणे राहवे रं ह्रीं श्रीं मैं स्वाहा ।” […]

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