श्री हनुमान जी के मन्त्र

श्री हनुमत् ध्यानम्

रामेष्टमित्रं जगदेकवीर

                                 प्लवंगराजेन्द्रकृत प्रणामम् ।

सुमेरूश गागमचिन्त्यामाद्यं

                                     हृदि स्मेरहं हनुमंतमीड्यम् ॥

(१) हनुमान्माला मन्त्र-

श्री

हनुमान जो के सम्मुख इस मन्त्र के ५१ पाठ करे और भोज पत्र पर इस मन्त्र को लिखकर पास में रखले तो सर्व कार्यों में सिद्धि मिलती है ।

‘ॐ वज्रकाय वज्रतुण्ड कपिल पिंगल

ऊर्ध्वंकेश महाबल रक्तमुख तडिज्जह्व महारौद्र

दंष्टोत्कट कह्ह्करालिने महाद्र्डप्रहारिन

लंकेश्वरवधाय महासेतुबंध महाशैलप्रवाह

गगनचर एयेहि भगवन्महाबल पराक्रम

भैरवाज्ञापय ऐहयेहि महारौद्र दीर्घपुच्छेन

वेष्ट्य वैरिणं भंजय भंजय हूँ ” || 

(२) हनुमद् उपासना मन्त्र-

इस मन्त्र का पाठ ब्रह्मचर्य व्रत धारण करके

करना चाहिए । अष्टगंध से ‘ॐ हनुमते नमः’ ये

लिखकर हनुमान जी को सिन्दूर और चमेली का शुद्ध

तेल केशर और लाल चन्दन का गंध लगायें। कमल,

केवड़ा और सूर्यमुखी के फूलों से पूजन करें। इस

प्रकार देवशयनी एकादशी से देवोत्थानी एकादशी

तक नित्य पूजन करें। तुलसी पत्र पर ‘राम-राम’

लिखकर भी चढ़ायें । इस प्रयोग से हनुमान जो प्रसन्न

होकर अभीष्ट सिद्धि प्रदान करेंगे ।

“ॐ श्री गुरुवे नमः

ॐ जेते हनुमंत रामदूत चलो वेग चलो

लोहे का गदा, वज्र का लंगोट, पान का बीड़ा,

तेल सिंदूर की पूजा, हंहकार पवनपुत्र कालंच-

चक्रहस्त कुबेरखिल मरामसान खिल भैरव-

खिलु अक्षखिल वक्षखिलु मेरे पे करे घाव

छाती फट् फट् मर जाये देव चल पृथ्वीखिल

साडे वारे जात की बात को खिलु मेघ को 

खिलु नव कौड़ी नाग को खिलु येहि येहि

आगच्छ आगच्छ शत्रुमुख बंधना खिलु सर्व-

मुखबंधनाम् खिलु काकणी कामनी मुखग्रह-

बंधना खिलु कुरू कुरू स्वाहा ।’

(३) हनुमद् मन्त्र-

इस मन्त्र का नित्य प्रति १०८ बार जप करने

से सिद्धि मिलती है।

‘ॐ ऐं ह्रीं हनुमते रामदूताय

लंकाविध्वंसनायांजनी गर्भसंभूताय

शाकिनी डाकिनी विध्वंसनाय

किलि किलि बुबुकरेण विभीषणाय

हनुमद्देवाय ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं ह्रां फट् स्वाहा ।

(४) हनुमन्मन्त्र (उदररोग नाशक) –

तरह

इस मन्त्र को प्रतिदिन ११ बार पढ़ने से सब

के पेट के रोग शांत हो जाते हैं ।

‘ॐ यो यो हनुमंत फलफलित

धगधगित आयुराषः षरूडाह ।’

(५) महावीर मन्त्र-

हनुमान जी का ध्यान करके इस मन्त्र का २२ 

इजार बार जप कर ले तो केले और आम के फलों से

हवन करें। हवन करके २२ ब्रह्मचारियों को भोजन

करा दें। इससे भगवान महावीर प्रसन्नतापूर्वक सिद्धि

देते हैं।

‘ॐ ह्रौं हस्कें रूकें हस्रौं हस्सों हसौं

हनुमते नमः ।