लक्ष्मी

लक्ष्मीप्रद मन्त्र

” (श्री लक्ष्मी प्रद मन्त्रों को जपने से तीन वर्षों में

सिद्धि होती है ।)

-लक्ष्मी ध्यानम्

लक्ष्मी पद्दसनगतकटिं

                            सूर्यशीतांसुनेता मुद्यदभास्व

त्वकरचयरुचिं पद्मशंखासिपाणिम् ।

नानामुक्तामणिसशकलाभूषितांगां ढिहस्तां

नित्यं लोकत्रियफलदां नौम्यहं भक्तिपूर्वकम् ।

-लक्ष्मी गायत्री-

ॐ महालक्ष्मै विद्महे महाश्रियै च धीमहि

तन्नो श्रीः प्रचोदयात् ।

ज्येष्ठा लक्ष्मी गायत्रो-

ॐ रक्त ज्येष्ठायै विद्महे नीलज्येष्ठायै धीमहि

तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॥

(१) धनदायी लक्ष्मी मन्त्र-

इस मन्त्र का एक लाख जप करने से अपार धन

प्राप्ति का योग बनता है ।

‘ॐ नमो धनदायै स्वाहा ।’ 

(इसी मन्त्र से अभिमन्त्रित करके एक अंजन भी

बनता है जिससे नेत्र ज्योति बढ़ती है। विधि ये है

कि अनार के बीज का रस निकालकर उसे मन्त्र से

अभिमन्त्रित करें। फिर काजल में इस रस को मिला-

कर अंजन तैयार करलें । इस अंजन को प्रतिदिन

मन्त्र पढ़कर नेत्रों में लगायें ।)

(२) ज्येष्ठालक्ष्मी मन्त्र –

सवा लाख जप करने से ये मन्त्र सिद्ध होता है।

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं ज्येष्ठालक्ष्मी स्वयभुवे ह्रीं

ज्येष्ठायै नमः ।’

(३) महालक्ष्मी मन्त्र-

इस मन्त्र का कार्तिक मास में सवा लाख जप

करना चाहिए ।

‘ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद

प्रसीद श्रीं ह्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः ।’

(४) सिद्ध लक्ष्मी मन्त्र –

इस मन्त्र का दस सहस्र जप करने पर मनुष्य

जो भी प्रश्न करेगा वह पूरा होगा ।

 ॐ ऐं क्लीं सौं ऐं ह्रीं श्रीं ॐ नमो भगवति

नातगीश्वरी सर्वजनमनोहारिणी सर्वराज- 

वशंकरी सर्वमुखरंजनि सर्वस्त्रो पुरुपवशंकरी

सर्वदुष्टमगवशंकरी सर्वलोकवशंकरी ह्रीं श्रीं

क्लीं ऐं ॐ ।’

(५) लक्ष्मी यक्षिणी मन्त्र-

लाल कनेर के फूल से पूजन कर हवन करने पर

एक लाख जप से सिद्धि देता है ।

‘ॐ ऐं लक्ष्मीं श्रीं कमलधारिणी कलहंसी

स्वाहा।’

(६) लक्ष्मी स्तोत्र-

इस स्तोत्र का पाठ करने से लक्ष्मी स्थिर

रहती है ।

‘वैलोक्य पूजिते देवि कमले विष्णुवल्लभे ।

यथा त्वमचला कृष्णे तथा भवमयि स्थिरा ||

ईश्वरी कमला लक्ष्मीश्चला भूर्तिहरिप्रिया |

पद्मा पद्मालया संपदुच्चैः श्री पद्मधारिणी ॥

दशैतानि नमानि लक्ष्मी संपूज्यः यः पठेत् ।

स्थरा लक्ष्मीर्भवेत्तस्व पुत्रदारादिभिः सहा ||