मंगल

-श्री मंगल ध्यानम् –
प्रतप्त गांगेयनिभमं ग्रहेशं सिहासनस्थं कमलासिहस्तम् ।
सुरासुरैः पजितपादयुग्मं भौमं दयालु हृदये स्मरामि ॥
-मंगल गायत्री-
ॐ अंगारकाय विद्महे शक्ति हस्ताय धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात् ।
मंगल उपासना मन्त्र-
ॐ हुं श्रीं मंगलाय नमः”
-मंगल मन्त्र –
इस मन्त्र का २८ हजार जप करने पर मंगल का
अनिष्ट प्रभाव दूर होता है और राजकार्यों में सिद्धि
प्राप्त होती है ।

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं प्रां के ग्रहाधिपतये
भौमाय स्वाहा ।