भगवती भुवनेश्वरी शिव के समस्त लीला-विलास की सहचरी और निखिल प्रपंचों की आदिकारण, सबकी शक्ति व सभी का नाना प्रकार से पोषण करने वाली हैं। इनका स्वरूप सौम्य और अंगकांति अरुण है। भक्तों को अभ्य एवं समस्त सिद्धियां प्रदान करना देवी का स्वाभाविक गुण है। माता भुवनेश्वरी को ‘ललिता‘ भी कहते हैं। इसलिए ललिता शब्द […]
दश महाविद्या
उपयोगकर्ताओं को माता रानी की पूजा करने के लिए मार्गदर्शन करने के लिए नीचे सूचीबद्ध लेख दिए गए हैं
बगलामुखी
दस महाविद्याओं में सबसे अधिक प्रसिद्ध, प्रचलित, प्रभावी साधना बगलामुखी देवी की ही मानी जाती है। एकवक्त्र महारुद्र की शक्ति बगलामुखी देवी है। इस देवी शक्ति की आराधना करने वाला मनुष्य अपने शत्रु को मनमाना कष्ट पहुंचा सकता है और अपने ऊपर आए कष्टों का निवारण भी कर सकता है। यौं तो बगलामुखी देवी की […]
तारा
दश महाविद्याओं में महाशक्तिशाली देवी तारा अक्षोभ्य पुरुष और उसकी महाशक्ति है। मुख्यतया रात्रि बारह बजे से लेकर सूर्योदय तक के समय में मां महाकाली की सत्ता रहती है। इसके पश्चात् महाविद्या तारा का साम्राज्य स्थित रहता है। जब तक अन्नाहुति होती रहती है तारा शान्त रहती है। अन्नादि के अभाव में वही शक्ति उग्रतारा […]
दक्षिणा काली
दक्षिणा काली के मन्त्र 1.कीं हूँ ह्रीं। 2.क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहा । 3.क्रीं क्रीं क्रीं फट् स्वाहा । 4.क्रीं हूं ह्रीं क्रीं हूँ ह्रीं । 5.क्रीं क्रीं क्रीं क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहा : ॥ ध्यान ॥ चतुर्भुजा कृष्णा मुण्ड माला विभूषिताम् । खडगं च दक्षिणे पाणौ विभ्रतीन्दीवर द्वयम् । कर्त्री च खर्परं चैव क्रमाद वामेन […]