विवरण
नीलम के संस्कृत के नाम इन्द्रनील, नीलमणि, महानील, शनि-रल,
नीलोपल, शौर्य, कोण, मण्डा, यम व पंगू है। अंग्रेजी में इसे नीला :
(Blue sapphire) कहते हैं। परसियन में इसे याकुट (yakut) कहते हैं। इसके
अलावा यह शनिप्रिय नाम से भी जाना जाता है। यह एक प्रकार का कारण
डम (Corundum) होता है। दिखने में यह नीले रंग का होता है इसके नीले
(Iron) की मात्रा के कारण होता है। यह किनारों पर गाढ़ा नीला और बीच
रंग का कारण इसमें पाई जाने वाली टिटेनियम (Titanium) और आवाल
में हल्का नीला होता है। नीलम अधिकतर बाहरे कोने (Twelve side) वाले
प्रिजम हाते हैं। कालेपन (Black shade) वाला नीलम नहीं पहनना चाहिए।
यह एक ऐसा रत्न है जो तीन घंटे या तीन दिन या तीन सप्ताह में ही अपना
प्रभाव दिखा देता है।
नीलम यह मकर (Capricorn) और कुम्भ (Aquarious) राशि के स्वामी
शनि के साथ सम्बन्धित है। यह तुला राशि वालों के लिए भी लाभदायक
है। इसलिए तुला राशि वाले व्यक्ति इसको धारण कर सकते हैं।
अंक विद्या अनुसार जिन व्यक्तियों का जन्म 8, 17 व 26 दिनांक में
हुआ है वह भी इसे धारण कर सकते हैं और जिनका जन्म 21 सितम्बर से
20 अक्टूबर में हुआ है वह भी इसको धारण कर सकते हैं। यह रत्न बहुत
ही प्रभावशाली है इसलिए सोच-समझकर ही इसे पहनें।
कार्य (Profession) : यह भवन निर्माण (Real state) के व्यापारियों,
खेती-बाड़ी, भवन सामग्री, कोयले की खान, पैट्रोल पम्प व लोहे के कारोबार
से जुड़े कार्यों के लिए शुभ है।
स्वास्थ्य (Health) : शरीर में इसका सम्बन्ध ‘सहस्त्रधारा’ चक्र (Pineal
Gland) पिनियल ग्रन्थि से सम्बन्धित रोगों से है जिनमें मुख्य रूप से लकवा,
कैंसर, रसोली, गठिया, डिप्रेशन, सपने व नर्व सम्बन्धी रोग है।
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