विवरण
इसे मुक्ता (Mukta), ससी-रत्न (Sasi-ratna) व तारीका (Tarica)
भी कहते हैं। यह आक्सीजन और कैल्शियम का कमपाउंड (compound)
है और कैल्शियम कारबोनेट की तरह होता है। ‘स्वाती नक्षत्र’ के समय जब
वर्षा की बूंद समुद्री सीपियों (Sea shells) में गिरती हैं, तो वह मोती बन
जाती हैं। आजकल समुद्री सीपियों में वर्षा के जल की तरह पदार्थ डालकर
बनावटी मोती (Artifical pearl) बनाए जाते हैं।
मोती रत्न जल तत्त्व है और यह ‘कर्क राशि’ के स्वामी चंद्र से संबंधित
है। इसलिए कर्क राशि वालों के लिए यह जीवन रत्न है। जिन व्यक्तियों का
जन्म 2, 11, 20 और 29 दिनांक में हुआ है वह भी इसे धारण कर सकते
हैं। इसके अलावा जो व्यक्ति 21 जून से 20 जुलाई के बीच पैदा हुए हैं,
वहभी इसे धारण कर सकते हैं। लेकिन जिनका जन्म दिनांक 8, 17, 26 में
है वह शनि से संबंधित होते हैं इसलिए उनके लिए यह रत्न शुभ नहीं है।
कार्य (Profession) : जिन व्यक्तियों का कार्य जल से संबंधित
है,जैसे मर्चेंट नेवी, मछुआरे, कपड़े का कार्य करने वाले, दूध, चांदी व जल
संबंधित अन्य कार्य करने वालों के लिए शुभ है।
स्वास्थ्य (Health) : शरीर में यह स्वाधिष्ठान चक्र (Adrenal Gland)
से संबंधित है। इसलिए इस ग्रन्थि (Gland) में होने वाले रोगों में यह बहुत
उपयोगी है। जिनमें मुख्य रूप में रक्त संचार, पागलपन, गठिया, पेट संबंधित
रोग और औरतों में अधिकतर अंडेदानी व फैलोपियन ट्यूब से संबंधित रोगों
में लाभदायक है। आयुर्वेद में इन रोगों के लिए मोती की भस्म खिलाई जाती
है। चंद्र ठीक होने से चेहरे पर नूर बना रहता है।
समीक्षा(रिव्यूस्)
कोई समीक्षाएँ अभी तक नही।