-श्री सूर्य ध्यानम्
“प्रत्यक्ष देवं विशदं सहस्रमरीचिभिः शोभित भूमिदेशम् ।
सप्ताश्वगं सस्प्रजहस्तमाघं देव भजेऽहं निहिरं हृदब्जे ।”
-सूर्य गायत्री-
“ॐ आदित्याय विद्महे, मार्तंण्डाय धीमहि तन्नः सूर्यः प्रचोदयात्”
-सूर्य उपासना मन्त्र-
“ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः”
-सूर्य मन्त्र-
इस मन्त्र का २४ हजार जप करने पर सूर्य का
अनिष्ट दूर होकर वे प्रसन्न होते हैं और शुभकर हो
जाते हैं।
“ॐ ह्रीं श्रीं आंग्रहाधिराजाय आदित्याय स्वाहा”