बलबुद्धि और स्मरणशक्ति बढ़ाने वाले मन्त्रों का
उल्लेख किया जा रहा है। ये अनुभूत सत्य है कि
विद्यार्थियों के लिए विद्या प्राप्ति में ये मन्त्र पूर्ण
प्रभावशाली हैं। सरस्वती मंत्र ४ वर्षों में फलीभूत
होते हैं और इनके भेद निम्नलिखित प्रकार से हैं-
-सरस्वती ध्यानम्
वाणीं पूर्णनिशाकरोज्जवलमुखीं
कर्पू रकुन्दप्रभा,
चन्द्रार्धाकिंतमस्तकां निजवःरैः
संबिभ्रतीमादरात्.
वर्णामक्षगुणं सुधाढ्य कलशं
विद्यां च तुगस्तनी,
दिव्यैराभरणविभूपीतनुम
सिंहाधिरूढां भजे ||
सरस्वती (वाग्देवी) गायत्री-
वाग्देव्यै च विद्महे कामवीजायै धीमहि,
तन्नो देवीः प्रचोदयात् ॥
(१) वाग्देवी मन्त्र –
प्रथम प्रयोग विधि—कृत्तिका नक्षत्र म यूहर का
वृन्दा लाकर मन्त्र से अभिमन्त्रित करके अपने पास
रखें और मन्त्र का एक लक्ष जप करें ।
द्वितीय प्रयोग विधि-लाल कनेर को माला
बनाकर उसे मन्त्र से १०८ बार अभिमन्त्रित करके
नदी में डालें और एक लक्ष जप जरें । इन दोनों
प्रयोगों से वाक्सिद्धि मिलती है ।
‘ॐ ह्रीं श्रीं मानसे सिद्धिंकरीं ह्रीं नमः ।’
(२) वाणी सरस्वती मन्त्र-
नीचे लिखे दोनों मन्त्रों में से किसी एक का भी
एक लाख जप करने से सिद्धि होती है ।
प्रथम – ‘ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यैनमः ।’
द्वितीय-ॐ नमो भगवती सरस्वती वाग्दा-
दिनी ब्रह्माणी ब्रह्मरूपिणी वद्धिवद्धनी
मम विद्यां देहि देहि स्वाहा ।’
(३) नील सरस्वती मन्त्र-
इसका भी एक लक्ष जप करने से सिद्धि होतो
१
‘ॐ ह्रीं ऐं हूँ नीलसरस्वतो फट् स्वाहा ।’